कपड़ों की आपकी चॉइस तय करती है आपका व्यक्तित्व। वो कहते है ना कि सुनो सबकी पर करो मन की। हम तो करते हैं इस पर घना विशवास और होते हैं तैयार अपने तरीके के साथ। पर कभी-कभी समाज के हिसाब से भी चलना पड़ता हैजा रहें हैं मिट्टी के प्रदेश तो होने चाहिए रंग मिट्टी से जैसे सफेद, बेज, ग्रे, टेराकोटा, भूरा आदि। बहुत लोग आपको काले रंग के कपड़ों पहनने की देंगे सलाह ताकि ज़्यादा गंदे न हों आपके कपड़े वहाँ।
रंग बिरंगे हैं रेगिस्तान के नज़ारे यहाँ। सूखे में भी हैं गीले रंगों की होती है जैसे बारिश यहाँ। जैसलमेर कहने को है बॉर्डर पर यहाँ के कपड़ों में बिखरे हैं हजारों रंग सदा। तो भला कैसे रहेंगे हम बिना दिखे टिप-टॉप यहाँ। आइए तो अब बात करते हैं अपने स्टाइल की हर जगह के हिसाब से। स्टाइल की तो क्या करें बात। पहनावा वो जो बना दे जगह को ख़ास। अगर हो गई हो शॉपिंग पूरी तो मिलते हैं हम आपको अगले ब्लॉग में करने के लिए कुछ और बातें ख़ास।
अंदाज़ है जिसका निराला वो है शहर में बसा। अगर रहना हो बीच शहर में तो यही है आपके लिए राइट चॉइस।होटल नहीं यह सच मुच का महल है। इसके एक हिस्से में आज भी शाही परिवार रेहता है। तो क्या कहते हैं आप, क्यों ना रहें इस महल में और लें कुछ पल राजा रानी के राजसी ठाठ बाठ का मज़ा। कहीं बंदूकें तो कहीं राजाओं की कुर्सियाँ सजी हैं
जैसलमेर में खुशियाँ अपार ,क्या पहुँच गए आप जैसलमेर में? क्या कहाँ, हाँ…पर करोगे क्या वहाँ? घबराएँ मत। हम हैं ना, बताते हैं आपको खुशगवार लम्हों को जैसलमेर में जीने के साधन। राजस्थान के राजाओं की सवारी जिसे युद्ध में आज भी उपयोग करती है भारतीय सेना और बीएसएफ। लेना नहीं चाहेंगे, रेगिस्तान के इस जहाज का मज़ा। रेतीली पहाडियों पर ऊंट पर बैठ घूमने का मज़ा ही अलग है। भूलिएगा नहीं!
अक्टूबर से मार्च के बीच यहाँ आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ, वातानुकूल टेंट में कैंपिंग का आनद ले सकते हैं। साथ में मिले अगर रेगिस्तान के जहाज पर सैर, यानी कैमल सफारी या फिर, जीप में मीलों सुनहरे रेगिस्तान की सैर, तो बात ही क्या है! सबसे आकर्षक है, जैसलमेर का किला। इस विशाल पहाड़ी किले के पीछे है, अलंकृत महाराजा का महल और जटिल नक्काशीदार जैन मंदिर। सुनहरे रंग के जुरासिक बलुआ पत्थर से बना यह किला सुनहरी रेत के महल जैसा दिखता है
इसका मॉडर्न अवतार भी निराला है, कहीं घाघरे से निकल कर पहुंच गया यह लहंगों, सूटों और ड्रेसेस पर और कहीं राजस्थान के राजाओं की पगड़ियों से खुल के सज गया यह स्कार्फ और स्टोल पर। बदलते फैशन के साथ लहरिया ने भी अपना स्वरूप बदला है।कहते हैं, अगर आप राजस्थान आए और आपने लहरिया न खरीदा तो आपकी यात्रा पूरी नहीं समझी जाती। उदयपुर और जैसलमेर की मनमोहक दुनिया आपको पहले ही बुला चुकी है और उसमें घुलती यह रंगों की लहर। अब किस का इंतजार, पधारो मारे देश