लहरिया - रेगिस्तान में बहती रंग

Laheriya style

रंगों का मॉडर्न अवतार

रंगों का हम सब के जीवन की खुशियों से एक अनोखा रिश्ता है। लहरिया चाहे राजस्थान की संस्कृति का पुराना हिस्सा हो मगर आज भी इसकी पहचान नौजवानों के पहनावे में देखी जा सकती है।

मॉडर्न ज़माने का लहरिया

इसका मॉडर्न अवतार भी निराला है, कहीं घाघरे से निकल कर पहुंच गया यह लहंगों, सूटों और ड्रेसेस पर और कहीं राजस्थान के राजाओं की पगड़ियों से खुल के सज गया यह स्कार्फ और स्टोल पर। बदलते फैशन के साथ लहरिया ने भी अपना स्वरूप बदला है। लहरिया अब केवल त्योहारों या शादियों की शान नहीं रहा, यह अब कॉलेज फेस्टिवल, डीजे नाइट्स, और स्टेज शोज का अभिन्न अंग बन गया है। डिजाइनरों ने इस नए लहरिया के अवतार में अपनी खूबसूरती के अंदाज भरे हैं।  

आज कल बदलते फैशन और नए डिज़ाइनों के चलते इसमें भी बहुत बदलाव आए हैं। अब लहरिया पैटर्न की पगड़ियों और साड़ियों के इलावा बहुत खूबसूरत लहंगे, डिज़ाइनर कुर्ते, दुपट्टे और स्टोल भी आ रहे हैं। लहरिया डिज़ाइन को मॉडर्न टच देते हुए आज कल लहरिया स्कर्ट्स भी बहुत फैशन में हैं।  इस डिज़ाइन की बनी फ्लोर लेंथ ड्रेसेस और स्टाइलिश लेहंगा चोली तो मानो मन ही मोह लेते हैं।

लहरिया के पैटर्न

Pattern of laheriya

यह रंगों से भरी लहरें कहीं तो तिरछी होती हैं और कहीं दोहरी कटी हुई। इन्ही लहरों से बनते हैं विभिन्न पैटर्न। उनमे से सबसे मशहूर हैं मोठारा, राजाशाही, नगीना मोठारा और कटवा पत्ता लहरिया। बदलते फैशन और नए मॉडर्न रंगों के साथ इसमें डिजिटल पैटर्न भी बनने लगे हैं। उसके ऊपर गोटा पट्टी और नगीनों की शानदार चमक उसको दिलखुश अंदाज में पेश करती है। लहरिया के विभिन्न नए डिजाइनर और डिजिटल पैटर्न इसे कभी पुराना नहीं होने देते। इसके बिना तो हर नौजवान का वस्त्रों का कलेक्शन अधूरा सा लगता है

कुछ इतिहास के झरोखे से

राजस्थान अपनी कला, संस्कृति, रेगिस्तान, वस्त्रों, गहनों और रंगो के लिए जाना जाता है। राजस्थान को रंगीला राजस्थान भी कहा जाता है, वहीं से शुरू हुआ इन रंगों की लहरों का सफर जो आज विश्व भर में इस्तेमाल किया जाता है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय पारम्परिक शैली है। इस तकनीक का नाम पानी की लहर के राजस्थानी शब्द से लिया गया है क्योंकि इस रंगाई तकनीक का उपयोग जटिल तरंग पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है। लहरिया की रंगाई पतले सूती या रेशमी कपड़े पर की जाती है। इससे सदियों से पगड़ियाँ, लहंगे और साड़ियाँ बनाई जाती रही हैं।    

राजस्थान के बाजार और उनमें सजा लहरिया

वैसे तो लहरिया आप कहीं से भी खरीद सकते हैं, मगर इसका सच्चा स्वरूप खरीदना हो, तो राजस्थान के जैसलमेर, जयपुर, उदयपुर और जोधपुर सबसे मशहूर शहर हैं। यहाँ अलग-अलग प्रकार की टाई एंड डाई की जाती है जो दुनिया भर के यात्रियों को खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करती है। कहते हैं, अगर आप राजस्थान आए और आपने लहरिया न खरीदा तो आपकी यात्रा पूरी नहीं समझी जाती। उदयपुर और जैसलमेर की मनमोहक दुनिया आपको पहले ही बुला चुकी है और उसमें घुलती यह रंगों की लहर। अब किस का इंतजार, पधारो मारे देश

जैसलमेर – रेगिस्तान का सुनहरा शहर

जैसलमेर – रेगिस्तान का सुनहरा शहर

अक्टूबर से मार्च के बीच यहाँ आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ, वातानुकूल टेंट में कैंपिंग का आनद ले सकते हैं। साथ में मिले अगर रेगिस्तान के जहाज पर सैर, यानी कैमल सफारी या फिर, जीप में मीलों सुनहरे रेगिस्तान की सैर, तो बात ही क्या है! सबसे आकर्षक है, जैसलमेर का किला। इस विशाल पहाड़ी किले के पीछे है, अलंकृत महाराजा का महल और जटिल नक्काशीदार जैन मंदिर। सुनहरे रंग के जुरासिक बलुआ पत्थर से बना यह किला सुनहरी रेत के महल जैसा दिखता है