
ना भूलो तुम, ना भूलें हम
पेरिस है इश्क़ का शहर और यहाँ सभी लोग मिलनसार हैं। कहते हैं ना, अगर आप समझना चाहते हैं किसी शहर को तो पहले वहाँ के रीति–रिवाज और लोगों को जाने। पेरिस तो वैसी भी बाहें फैलाए आपका स्वागत करने को हमेशा तयार रहता है। यदि आप पेरिस का ठीक से अनुभव करना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कि वहाँ के लोग कैसे हैं, तो आपको एफिल टॉवर पर जाने के अलावा और कुछ भी करने की आवश्यकता है। आपको स्थानीय आदतों और संस्कृति के बारे में जानने की जरूरत है।
पेरिस है तहज़ीब और अदब का शहर
लखनवी अंदाज़ है जैसे इंडिया का, वैसे ही है, फ्रांस का शिष्टाचार से भरा पेरिस। यहाँ के लोग मिलनसार हैं और इज्ज़त देना जानते हैं, मगर बदले में वो इज्ज़त चाहते भी हैं।
पेरिस में लोगों से मिलें कैसे?
फ्रांसीसी संस्कृति में लोगों का अभिवादन वैसे ही किया जाता है जैसे हम भारत में करते हैं, नमस्ते! बोंजूर (Bonjoir) कहें दिन में और बोनस्वार (Bonsoir) कहें शाम 6 बजे के बाद। बस इतना काफी है, बातचीत शुरू करने के लिए, मगर याद रहे उच्चारण सही हो। गूगल से पूछ लें और सीखलें सही तरीका बोलने का फ्रेंच भाषा में।
कहते हैं ना किसी भी इंसान का पहला इंप्रेशन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है किसी भी रिश्ते के सही ढंग से बड़ने के लिए। वैसी ही है सोच, पेरिस के शिष्टाचार से भरे लोगों की भी। यदि आप ने अभिनंदन ठीक से ना किया तो इसे असभ्य मानते हैं पेरिस के लोग, और आप बदले में उनका वैसा ही स्वरूप देखेंगे। यदि आप इज्ज़त से बात करेंगे, तो पेरिस के लोग विनम्रता और मदद करने की इच्छा से आपकी बात सुनेंगे।
ला बीज़ा (La bise) या कहें असली फ्रेंच किस

ला बीज़ा पहली चीज है जो बच्चे अपने साथियों की कंपनी में सीखते हैं। ला बीज़ा गालों पर की जाने वाली किस है जो किसी अच्छे दोस्त, करीबी रिश्तेदार या परिवार के किसी सदस्य का अभिवादन करते समय की जाती है।बाएं गाल से शुरू करें और फिर दाएं - गालों के बीच चलते हुए किस करने की आवाज करें। इसे करते समय गाल हल्के से छूते हैं। जबकि कुछ क्षेत्रों में फ्रांसीसी चार बार किस को दोहराते हैं, मगर पेरिस के लोग इसे दो बार करते हैं। पहली बार लोगों से मिलते समय अधिकतर आप हाथ मिलाते हैं, लेकिन अगर आप सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या करना है, तो दूसरे व्यक्ति की पहल का पालन करें।
सार्वजनिक स्थान: पेरिस में सड़कों पर घूमते हुए ध्यान में रखें कुछ बाते
सार्वजनिक रूप से चिल्लाना नहीं। सार्वजनिक रूप से चिल्लाना असभ्य माना जाता है – वास्तव में, चिल्लाना केवल फ्रांस की संस्कृति में क्रोध व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह लोग केवल फुसफुसाते हैं। यह अपनी बातचीत में काफी भावुक होते हैं। लेकिन सिर्फ अपनी आवाज का इस्तेमाल करने के बजाए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शारीरिक भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं। यह नियम सार्वजनिक परिवहन के लिए लागू है।
चलते-फिरते यहाँ खाना नहीं। पेरिस में सामाजिक रीति-रिवाज सार्वजनिक स्थान का सम्मान करने और भोजन का सम्मान करने के बारे में हैं। यह लोग मानते हैं कि हमें ना केवल अच्छा भोजन करना चाहिए बल्कि आराम से बैठ कर उसका आनंद भी उठाना चाहिए। पेरिस के लोग अपना दोपहर का भोजन कार्यालय से बाहर ले जाते हैं और अक्सर आस पास में काम करने वाले दोस्तों के साथ अपने लंच ब्रेक का आनंद लेते हैं।
सामान खरीदते समय ध्यान रखें कि दुकान में घुसते ही, पहले शॉपकीपर का सम्मान पूर्वक अभिनंदन करें। अधिकतर पर्यटक इस रिवाज़ से अनजान होते हैं और इसी लिए दुकानदारों द्वारा उचित सर्विस ना मिलने पर नाराज़ हो जाते हैं। फिर कहें बोंजूर या बोनस्वार और उसके साथ-साथ में महाशय, मैडम, या माडेम्वाज़ेल यानी ‘कुमारी’। इज्ज़त मिलते ही दुकानदार आपकी हर जरूरत को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित हो जाते है। साथ ही, दुकान से बाहर निकलते समय विदाई देना न भूलें।
सामान को बिना इजाज़त हाथ ना लगाएं। यह बुरा समझा जाता है, खासकर सब्जियों की दुकानों पर। अच्छी तरह से उन्हें देखें, पसंद आने पर दुकानदार खुशी से उठा कर वो चीज़ आपको दिखा देगा या उस से इजाज़त ले कर छू सकते हैं। मुश्किल तो नहीं है ना ये बातें, बस ध्यान में रखना इन्हे पेरिस में घूमते हुए।
पेरिस से जुड़ना जरूरी
किसी भी देश या शहर के लोगों से जुड़ने के लिए उनके रिवाजों की इज्ज़त और पालन करना आवश्यक होता है और यदि आप ऐसा करते हैं, तो पेरिस के लोगों के साथ मिलकर आप ले पाएंगे इस शहर का दिल खोल के मज़ा। तो चलें अपने देश की सभ्यता दिखाने फ्रांस के मिलनसार लोगों को।